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Thursday, 16 January 2020

येन केन प्रकारेण -- मुकदमा विजयी

लेखक: डॉ पुनीत अग्रवाल

पहले तो आपको यह  क्लियर कर दें कि आप उनमे से नहीं हैं  जिनको लेख की हेडिंग ही बकवास लगी है वे  तो ये पढ़ ही नहीं रहे होंगे, अगर आप ये लाईन पढ रहे हैं मतलब आप के अंदर जीतने की इच्छा अभी बाकी है और आप खुद को 21 वीं सदी का साईंटिफ़िक पुतला बोलकर, केस जीतने के नए मौका खोकर, खुश रहने वालो मे से नहीं हैं। आप नया कुछ सीख कर, उसको जान कर, उपयोग कर के, अपना भला करने वालों मे से एक हैं । पुराना गलत सीखा हुआ भूल कर नयी, सही और सटीक जानकारी लेना कठिन पर एक ज़रूरी प्रक्रिया है इस लेख से लाभान्वित होने के लिए। आप अगर इस लेख को धर्म, या अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं तो कृपया इसको अवश्य पढ़ें आपका  भ्रम अवश्य दूर होगा । जो इस पर शास्त्रार्थ करना चाहते हैं, उनका स्वागत है, कोर्ट की छुट्टियों मे कभी भी कर सकते हैं। बाकी सब कृपया आगे पढ़ें।

भारत मे अब कोई नयी बात नहीं है झूठे मुकदमो का लगना, उनमे फंसना, फंसे रहना, और फिर निर्वस्त्र-स्वरूप होकर दीन-हीन धन, आयु, और परिवार, सुख संपन्नता को खोकर उस से मुक्ति पाना। और कुछ होते हैं जो कम नुकसान उठाकर बाहर निकाल जाते हैं। और कुछ बिरले बिना नुकसान के जीत जाते हैं। आप कौनसी कैटेगरी के हैं और कौन  सी मे जाना चाहते  ये आप पर निर्भर करता। सभी के अपने रॉ मटिरियल हैं, तरीके और नियम कायदे हैं और सबसे ऊपर अच्छी  बुरी किस्मत। किस्मत क्या है और कैसे बदल सकते ये आज क विषय नहीं है। लेकिन ज़रूरत के लिए बहुत कुछ है जो बदला जा सकता, काफी कुछ रोका जा सकता और कुछ से लड़ा जा सकता और आखरी मे कुछ एक से से तरीके से हल्के झटके से हारा जा सकता । सब कुछ ज्ञान, विश्वास, क्रिया, अथक प्रयास, सही मार्गदर्शन और पुण्यों पर निर्भर है । और सबसे ज्यादा ज़रूरी आपकी द्रढ इच्छा  शक्ति और जीतने का आत्मविश्वास । 

अभी  पुरुष अधिकारो, महिला वादी कानूनों और फॅमिली कोर्टों के क्रिया कलाप, ढेर सारे मेंस राइट ग्रुप्स पर मौजूद अनगिनत न्यायदृष्टांतों की धूप-छांव  और  पुरुष आयोग मांगने वालों की ललकार इत्यादि की बात ये सब को पूरी तरह छोड़कर ये मान लेते हैं की आपको केस कैसे लड़ना है ये आपके अच्छे वकील से आप जान चुके हैं और संतुष्ट हैं।  (जो की वास्तव मे एक विस्तृत अन्य लेख का विषय है )  परंतु  वकील , आपके, घरवालो, आपके मित्रों, इत्यादि के पूरे प्रयासों के बावजूद भी आप अपने केस मे सिर्फ गर्त मे ही जाते जा रहे हैं । आप निराश होते हैं  और भारतीय न्यायव्यवस्था को कोसते दिखाई देते हैं। क्यो? क्यो कि हर बार कोर्ट या बाहर कुछ न कुछ कमी रह जाती है।  जीतते-जीतते सब उल्टा पुलटा हो जाता। यहाँ  पर दूसरे लोग ऐसी समान परिस्थिति मे तो जीत रहे होते पर आप खुद को श्रपित, मनहूस, बेबस और परेशान पाते हैं: "कुछ हो जाए, कोई तो कुछ बता दे, कहीं से कुछ मिल जाए, जज बादल जाए, कोई नया जजमेंट मिल जाए, कोई नया वकील मिल जाए, बीवी का कुत्ता मर जाए , पत्नी क्रॉस मे सब उगल जाए, उसके दो चार फोटो और विडियो कहीं से मिल जाए, उसकी जॉब का पता भर  मिल जाए , बस एक चमत्कार हो जाए और मै केस जीत जाऊँ"। पर ऐसा होगा कैसे, जब तक ऐसा होने के लिए जगह नहीं बनाई जाएगी? 

जब आप उचित कानूनी रणनीतियों से अवगत होते हैं, तो आप एक कानूनी मामला जीत सकते हैं, अदालत की प्रक्रियाओं को जान सकते हैं, और जान सकते हैं कि किसी विशिष्ट स्थिति में क्या करना है। जब कानून सख्त होते हैं तो आपका उद्देश्य कुछ क्षणिक दुविधा में फंसने के बजाय लंबे समय में राहत पाने का होना चाहिए। ऐसे सभी कोर्ट-क्राफ्ट निरर्थक हैं।  जब आपका पैरानॉर्मल इंडेक्स कम होता है, आपकी आभा कमजोर होती है, आपकी शुरुआत मंद होती है, और सबसे बढ़कर, आपके कार्यों में कमी और एक बल  का आभाव होता है।सांसारिक रणनीतियों के अलावा,  ब्रह्मांड के अन्य आयामों से सावधानीपूर्वक खींचे गए कुछ नवीन, भौतिक, आधिभौतिक, वैज्ञानिक, अतिरिक्त-सामान्य और गुप्त-ऊर्जा -गतिविधियां हैं, जो आपको मजबूत बना सकती हैं और आप केस जीत सकते हैं।

आप ये सब माने , विश्वास करें या ना  करें, आपकी विपक्षी पार्टी कोई कसर नहीं छोडती आपको  नेस्तनाबूद करने मे, वो ये सब हतकणडे अपनाती है, कुछ सफल, कुछ असफल और कुछ अज्ञात असर वाले  । ऐसे मे कुछ लोग अपने प्रकृतिक स्वरूप, भाग्य, वातावरण की श्रेष्ठता, माता  पिता के सुरक्षा कवच, इत्यादि से आंशिक या पूर्ण रूप से बचे रहते हैं  पर कौन कितना कितना परसेंट भाग्य शाली है इसका पता किसको है? और दूसरा, बार बार के हमलो और पैदा किए गए दुर्भाग्य को कौन सा कवच कब तक आपकी रक्षा करेगा इसको भी कौन सटीक बता सकता। इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा और हथियारों की अवश्यकती पड़ती  है, और इनको खोजना, और इस्तेमाल किया जाना उतना ही आवश्यक जितना कोर्ट मे मे हरे कागज़ और वकील का होना ज़रूरी  होता है । 

बस कुछ भी करने और सीखने और उसके प्रयोग से पहले कुछ सावधानी ज़रूरी। कहीं कोई सरकारी और संवैधानिक नियम न टूट जाए और आप एक नए केस मे फंस जाएँ। दूसरा कोई ऐसी अप्राकृतिक और घिनौना कृत्य न कर दें जिस से आप और  आपका परिवार दोनों शर्मिंदा होना पड़े। साथ ही  महाराष्ट्र और कर्नाटक भारत के दो राज्य ऐसे है जिनमें अंधविश्वास निरोधक कानून लागू है उस से भी आपको बचना होगा। याद रखिए अंधविश्वास, एवं  जादू टोने और प्रकृति की गुप्त शक्तियों का विशेष प्रकार से दोहन और इस्तेमाल, दोनों मे बहुत फर्क है। सब कुछ उसको करने के तरीके मे और लाभ लिए जाने की प्रकृति मे है। एक शमशान है एवं एक लैबोरेटरी और घर की बलकनी है। 

कुछ लोग अगर ये सोचते की भूत प्रेत टोने टोटके सब बकवास हैं, अंधविश्वास है , कुछ अगर ये मानते की इन सबका कोई प्रूफ नहीं है, या कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, या कुछ ऐसे भी हैं जो बिल्ली का रास्ता काट जाने पर रुक जाते हैं । तो सभी कोटी के श्रद्धालुओं को ये जान लेना चहिए की भारत मे ऊल जलूल ज्यादा प्रचलित होता और लंबे समय तक बना रेहता है जिसमे सत्य दब जाता है । विज्ञान, प्रकृति और अव्यक्त  की खाई को ऊर्जा और उसके कार्य करने के तरीके ही भर सकते हैं। हम यहाँ इनकी बात भी नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं एनर्जि मैडिसिन और कुछ ऐसी मंत्र और अन्य मानसिक तंत्र  क्रियाओं की जिनसे आप सशक्त बन कर केस जीत सकते हैं ।

अब निश्चय ही एक दम से खयाल आया होगा वो फलाने बाबा, बंगाली तांत्रिक, ज्योतिषी क्या सही बताते , पंडित जी क्या जदुई तावीज़ देते,  पीर साब जिन्नातों से पूछ कर सब बता देते , बड़े ऊंचे पहूँञ्चे हुये हैं, तुम्हारी मौम्मी उनको जानती हैं, ये लेख पड़ने का कोई मतलब नहीं अब। तो बढ़िया है, आप जानते हैं, पर क्या अपने उनका इस्तेमाल अपने केस को जीतने मे करा? क्या वो ऐसा कुछ करने मे मदद कर भी सकते हैं? (किस मेथड से करेंगे अभी मै उसमे नहीं जाऊंगा।) अगर हाँ, तो करा क्यो नहीं? आपकी माताजी पिताजी गए तो ज़रूर होंगे पर आधी अधूरी श्रद्धा और विशवास के साथ सिर्फ दिल को बहलाने। अभी तक उनका उपयोग नहीं करा तो आज ही कर लो, अच्छा बुरा , टाइम, पैसा वेस्टऔर इत्यादि  और वाकई असर हो तो केस जीत कर लड्डू हमे भी खिलाइएगा। लेकिन अगर कुछ  और होता न दिखे, सिर्फ पर्स और दिमाग हल्का होता दिखे तो आगे पढ़िये। 

आप पर केस लगा है तो आपका सिर्फ  एक ही धरम और करम है , केस को जीतना । लीगल तिकड़म के लिए दूसरे लेख उपलब्ध  हैं। यहाँ ये समझिए की साम, दाम दंड , भेद, मारन, मोहन, वशीकरण, स्थंभन, उच्चाटन, येन केन प्रकारेंण आपको केस जीतना ही होता है । ये एक लड़ाई है और हारना सबसे बड़ा अपराध है । अब बाज़ार मे और बहुत  कुछ उपलब्ध है काली कवच से लेकर देवी बगलामुखी तक, दश महाविद्या से लेकर भैरों अनुष्ठान तक । नीलम, हीरा पहनने से कबूतर, उल्लू के पंख से हवन करने तक । आप इनका उपयोग करके लाभ उठाना जानते तो ज़रूर करिए। बस करने वाला सही हो और सही कार्य और क्रिया की जाये। कहीं उल्टा फूलता करके मानसिक रोगी न बन जाना ये ध्यान रखना । ज़िम्मेदारी आपकी। इन सब  तंत्र , मंत्र, यंत्र, जाप, पूजा, उपास इत्यादि काली , सफ़ेद विद्याओं के अतिरिक्त एक उजली शाखा भी है जो थोड़ी मज़ेदार, और समझे मे आने वाली भी है। वो है एनर्जि मैडिसिन (energy medicine) जिसको काफी उपयोगी तरीके से इस्तेमाल करके आप जीत के करीब पहुँच सकते हैं। भाग्य होता है या नही,  ये भी हम आज नहीं बात करेंगे, लेकिन अगर आपके लीगल कैरियर मे क्या क्या ,कब कब  होने की संभावना है इसकी जानकारी सटीक प्राप्त करके यदि सही ऊर्जा से उसकी कमी को दूर करके केस जीतकर भला हो सकता तो क्या फर्क पड़ता। अब आप ज्यादा सुखी हैं  या वो जो फ़िज़िक्स मे PhD  खुद को अंधविश्वास से दूर रखने वाला बुद्धिजीवी जो केस हारकर अपना अहम सुरक्षित रखे हुये है? एक्जाम मे अच्छे  नंबर आने चाहिए गाइड से पढ़ो या नोट्स से या दोनों से  क्या फरक पड़ता। देखिये, ये पैरानोरमल (paranormal) विज्ञान अभी दुनिया मे एक बचपने की स्टेज मे है। अभी इसमे कोई विशेष काम नहीं हुआ है। बाकी सब छोड़ कर काम की बात जानिए, इसपर लैक्चर मुझे से कभी और लीजिएगा।

चलिये अब सीधे मुद्दे पर, भूमिका काफी हुयी। देखिये ज्योतिष शास्त्र की सटीक गढना करना कठिन कार्य होता है, मंदिर मे बैठा पंडित ये कार्य करने मे दक्ष हो ये ज़रूरी नहीं। ज़्यादातर ज्योतिषी काफी कुछ अच्छा या बुरा होने की डेट्स बता देते हैं और ढेरो उपाय। लेकिन असली खेल तो कोर्ट की प्रोसीडिंग्स और लड़ने के तरीके पर टीका होता  सही गढना अगर हो तो आप ये पता कर सकते और  सफला पूर्वक केस लड़ सकते जैसे : 

आप क्या कभी, कब और कब तक -- कोर्ट केस मे फसेंगे?
क्या बार बार फसेंगे या एक बार के बाद मुक्ति?
कब कब केस मे आपकी पत्नी का पलड़ा भारी होगा, कब आपका?
कब कब कोर्ट से जेल जाने के योग हैं ?
कब कब कोर्ट से धन हानी के योग हैं ?
किस दिनाक तक केस खत्म होने के योग हैं ?
क्या भाग्य से ज्यादा युक्ति आपके काम आएगी?
क्या पैरानोरमल प्रयोग से केस जीतना सरल है?
किस तरह के प्रयोग से आप सशक्त हो सकते?
कौन सी बाधा है जो काम बिगाड़ रही है?
क्या अलग रहना बेहतर या पत्नी का त्याग? 
क्या प्रेम विवाह, या लिव इन रखना उचित होगा या दूसरा नया केस आ जाएगा? 

इस तरह के कुछ मोटे मोटे मुद्दे जान कर उपाय करने से केस लड़ना बहुत  सरल होता है। कई निर्णय सही लिए जा सकते हैं, सम्झौता इत्यादि भी सही समाये पर किया जा सकता है , लड़ाई कि फोर्स कि दिशा भी निर्धारित कि जा सकती है। ऐसे मुद्दों तो कोई अंत नहीं लेकिन कुछ और ज़रूरी जैसे : 

क्या बीवी व्यभिचारी है, या पर परपुरुष गामिनी (ये एक गहन विषय है ) 
क्या बीवी वन्ध्य (बांझ) है, या कोई बीमारी है जो छिपा रही है । 
क्या बीवी के मायकेे वाले नुकसान दे सकते 

अब जब आप इस लेवेल को पार कर जाएंगे, और जितना जल्दी करेंगे उतना अच्छा। फिर आता है प्रयोग और उपाए का तरीका। देखिये वैसे तो मंत्र अनुष्ठान बड़ा उत्तम तरीका है अगर सही शक्ति साधना से करवा पाएँ तो ठीक, अन्यथा स्वयं करना सर्वथा उचित रहता। लेकिन क्या? वो सब करिए जो आपको अच्छा लगता, लेकिन सही मार्गदर्शन हो तभी। भटकना खतरनाक होता। गार नहीं कुछ पता तो लेकिन एनर्जि मेडिसिन का सहारा लीजिये। जब आप ये समझ लेंगे की ये मंत्र कैसे काम करते तो आप स्वयं अपने मंत्र बना सकते। यही है वो साइन्स। (मेरी एक अधूरी पुस्तक "Throught Energy Paradigm" इसी विषय पर  प्रकाश डालने वाली अनोखी पुस्तक शीघ्र प्रकाशित होगी।) करना क्या है इस मे। कुछ थॉट एनर्जि के उपयोग  हैं और कुछ रिसर्च के द्वारा नवीन तरीके से अपने आस पास होने वाली और हो रही घटनाओ मे बदलाव लाने का विज्ञान है। विस्तार मे न जाकर थोड़े मे ऐसे समझिए की तंत्र इत्यादि कोई गलत नहीं है शॉर्ट कट टूल है कुछ करने करवाने का, बस लोग अज्ञान और गलत तरीके से करते। जैसे अपने हिपनोटिस्म सुना, हेममलिनी को देवानन्द ने सम्मोहित करके वश मे कर लिया। पर अगर इसका scientific, controlled, researched तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो जज को गलत निर्णय देने से काफी हद तक रोका जा सकता। आपकी बीवी को उसके झूठ बोलने के कारण उसे  उसके दिमाग को उलझाया जा सकता, रोज़ मर्राह की कोर्ट गतिविधियों को धीरे धीरे आपके पक्ष मे लाया जा सकता । हाइ कोर्ट इत्यादि  मे आपकी बात को सही तरीके से सुना कर सही ऑर्डर लेने मे मार्ग खुल सकता । अनगिनत  हैं। करना सिर्फ एनर्जि का सही उपयोग है अपने thought को सही उपयोग करके। 

ये भी याद रखिए ये लड्डू खाने जितना सरल नहीं है, खाने मे नमक जैसा कार्य करता है। शांति, संयम, मेहनत, और फोकस रहकर करना होगा। किसी की एक्शन का रिज़ल्ट वेस्ट नहीं होता यूनिवर्स मे, याद रखिए, रिज़ल्ट ज़रूर आता है । बस सब कुछ नियम से कारण होता, पर सही चीज़, सही तारीक से सही समय । इस तरह के पॉज़िटिव प्रयोगों से मन भी संयमित रेहता, बुरे विचार नहीं आते, आप सही मार्ग पर जाते, सही आदमी से मिल पाते, सही निर्णय लेते, और परिवार भी प्रसन्न रहता। आपका  पैसा गलत लोगों मे डर घबराहट के कारण लग्ने से बचता । आपके चेहरे  पर एक चमक रहती जिसकी रोशनी मे आपके विपक्षी कुछ बुरा नहीं कर पाते । अब आप कहेंगे मै तो महान योगी पहले से ही हूँ रोज़ ध्यान करता, रेकी करता, दुर्गा कवच करता इत्यादि मुझे इसकी ज़रूरत नहीं। बिलकुल सही बिलकुल करिए सही राह पर है आप, जल्दी से केस जीतकर आइए और जल्दी लड्डू खिलायें। अन्यथा thought process को energy के साथ यूज़  करके universe मे चेंज लाइये और केस  जीतिए।  जैसे उदाहरण के तौर पर आपकी बीवी आने वाले 1 साल स्ट्रॉंग पोसिशन मे आती दिख रही, कोर्ट मे भी लग रहा कि सही भी गलत हो रहा क्रिमिनल कोर्ट मे, तो आप को उस विशेष कारण को साधना होगा जो ऐसा करवा रहा। फर्क देखिये,  दिखता है, अच्छा Advocate,  अच्छी  सलाह, सही उपाय और सही क्रिया। सब सही करने मे मदद करती। करके देखिये। फालतू पोंगा पंडितों के चक्करों मे पैसा लौटाने  से अच्छा स्वयं कुछ नया सीखिये, प्रकृति से जुड़िये और ज्ञानी और कॉन्फिडेंट और मुकदमा विजयी बनिए। 

तूने ज़िंदगी को किताबों से देखा तू बड़ा होशियार
जिसने तुझे किताबों मे देखा वो तुझ से बड़ा जानकार

दुनिया का ज्ञान लेकर तू शंकराचार्य कह लाएगा 
दुनिया को ज्ञान देकर तू बुद्ध हो जाएगा 

मर्म इसमे है कि ज्ञान की उपयोगिता  कब है,
ज्ञान से ज्ञान को जकड़ने मे कौनसा सुख है। 

इसमे अगर आपकी रुचि जागृत हो रही है, होना लाज़मी भी है ये साँप और सपेरों का देश जो है (या था ), चमत्कार को नमस्कार है यहाँ। अब ये बात अलग है कि अज्ञान भी एक चमत्कार ही है जो कैसे एक पल मे दूर हो जाता पता ही नहीं चलता । नहीं लगता आपको, कैसे सूप्रीम कोर्ट का एक अच्छा जजमेंट मिल जाने  से आप कि आँखें  चमक जाती। तो इच्छा शक्ति हो तो अब आप इसके लिए खुद को तैयार करिए, और लग जाइए काम पर। बस हमे लड्डू का इंतज़ार रहेगा । ऑनलाइन भी भिजवा सकते हैं । 




लेखक कि नवीन कृति, ज्ञानवर्धक विधि -वैवाहिक पुस्तक पढ़ें: 

Caution Money
For dangerous Laddoos of marriage

यह पुस्तक भारत में प्रत्येक कुंवारे पुरुष  के लिए एक पूर्व-वैवाहिक पाठ्यपुस्तक है। वर्तमान न्याय व्यवस्था मे सकुशल रहने हेतु एक नवीन कानूनी संकल्पना एवं मार्ग को बताती पुस्तक। वैवाहिक संकट से घिरे हर पुरुष  के लिए इसे एक अग्रदूत के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। देश मे अपने तरह कि पहली पुस्तक। घर से कोर्ट तक हर जगह आपका मार्ग दर्शन करेगी ।

भाषा : अँग्रेजी
मूल्य : 250/-
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