Search This Blog

Friday, 18 March 2022

मुझ मे क्या कमी है : भारतीय पतियों की अमर गाथा ? - I


मेरे प्रिय भारतीय पतियों आपका स्वागत है । आइए आपके जीवन मे एक पल खुशी का लाने का प्रयास यहाँ करते हैं । ये कोई पत्र नहीं है एक संस्मरण है। वैवाहिक बस्ती मे रह रहे गरीब भिखारी को दी जा रही कुछ पलों की वैचारिक भीख है । हो सकता है इसको प्राप्त करके आपके अंदर बवाल उठे , आक्रोश हो , या ये भी हो सकता है की आप एकदम शिथिल पड़ जाएँ । मेरा प्रयास आप मे  बस कुछ तो नया करवाने का है। अब वो चाहे किसी भी श्रेणी का हो -द्रव्य या उपद्रव !

पतियों के लिए सोचने समझने, और कुछ करने के लिए पुनःकुछ सोचने का विषय है। हैरान मत होइये। आप आज तक सिर्फ सोचने और चिंतन के गहरे सागर मे गोते ही तो लगते आ रहे हैं । यहाँ विचारो मे थोड़ा और नीचे जाने से वैवाहिक नदी के नए कंकर पत्थर देख पाने का सौभाग्य आपको यहाँ शायद मिल सकेगा। डूबे हुये को पानी से अभ्यस्त हो जाना चाहिए। भीगे बदन मे आँसुओ की धार को छिपाने की आदत होनी चाहिए । इस तरह से शब्दो को घुमाने से शायद आप खुद को जवान, नवीन और ऊर्जा से भरा समझने का मौका प्राप्त हो यही मेरी मंशा है।

यहाँ ये जानना ज़रूरी  है की आप कहाँ और कितने डूबे हुये हैं । तो जान लीजिये की आप शादी की नदी मे कमर तक फिलहाल डूबे हैं और सरकारी मशीनरी जल्दी आपके नीचे खुदाई करके आपको और नीचे खींच कर पूरा डुबोने का प्रयास कर रही है। खड़े होने की जगह की कमी है । आपमे आखिर कोई कमी नहीं है । आप पुरुष हैं !

तो मेरे नेमिब्रदर्स (nemibrothers)! मेरे प्रिय उपयोगी, उपभोग किए गए पुरुषो। ये लेख आत्म अवलोकन हेतु मित्रवत प्रयास है। अपनी पुस्तक Caution Money मे मैं ने थोड़ा तकनीकी विषय लेकर भारतीय पुरुषो को वर्तमान एवं भविष्य मे शादी , संसर्ग , सहवास , आदि से जुड़े भारतीय परिपेक्ष एवं न्याय व्यवस्था के कोड़े , विकराल मूँहफाडे खड़ी भरणपोषण व्यवस्था से आगाह करा है एवं उसका समाधान भी बताया है। हमारे भारतीय युवा एवं Cool Dudes को कैसे आगे शादी एवं घर गृहस्थी का सपना देखना है एवं “लीगल टेर्रोरिस्म” से कैसे  बचना है। किताब को पढ़ने वालो ने हर बार बार मुझ से यही पूछा की किस पाप की सज़ा हमको भुगतना है, वो पाप जो हमने किया ही नहीं ।

आज भारतीय पुरुष एवं पति की दुर्दशा , त्रिशंकु (बीच मे लटका) प्रथा, चुसे आम से अलंकृत उसकी पारिवारिक दुरअवस्था एवं अश्रुपूर्ण आंखो मे भरे ये सवाल हैं की “मुझ मे क्या कमी है?” इसी पर चिंतन का ये पक्ष लेख मे उठाया है। हो सकता है इसको पढ़ते वक्त यहाँ युवक सोचे की मुझ मे न ही कमी है न ही मेरी कोई दुरअवस्था है। सही भी है क्यो की जो चीज़ दिखाई ही न दे उसके लिए उसके लिए क्या मातम मनाना। आपका कोई दोष नहीं । आम तौर पर हर लड़का अपने पिता को देख कर बड़ा होता है। उनसे सीखता सुनता है । बस एक बार ज़रा अपने पापा से पूछ कर देखो की क्या पापा आपमे कोई कमी है । पापा का जवाब होगा “बेटा तुम्हारी मम्मी कहती है मै किसी काम का आदमी नहीं  हूँ ...” पूछ कर तो देखिये एक बार । पिताजी से ये ज्ञान प्राप्त करना आपका होमवर्क है। पिताजी को दोस्त बनाकर पूछिये । यहाँ माँ और मातृत्व को बीच मे मत आने दीजिएगा । वो अलग मुद्दा । यहाँ बात मैन तो मैन की होगी। तभी तो समाज का दबा सत्य निकाल कर बाहर आयेगा। क्या पता आपके पिताजी और भी बहुत कुछ बता दे अपनी सीक्रेट वसीयत के अलावा। बस कहीं कोई दूसरी मम्मी और भाई बहन न निकाल आए ये एक डर हमेशा रहता। पर आपको इन सब के लिए टाइम हो तब न । आपके लिए तो ये लेख ही बकवास होगा, इतना सब करने का तो सवाल ही कहाँ उठेगा ?

तो  आइए कुछ आपके टाइप की  भाषा और यंग सोच मे ही समझ लेते हैं। संस्कार और शर्म को चूल्हे मे डालकर अमर्यादित भाषा मे समझते हैं तभी शायद समझ आए। सड़क से गुज़रो, रेस्टोरन्त मे जाओ या किसी कॉलेज के बाहर सुनो, 10 मे से 5 शब्द, आगे पति बनने वाले आजकल के लड़को के, गाली  और सेक्स से डूबे होते हैं। काम की बातें बोर लगती हैं, कितना भी थोक पीट के समझाओ जब तक उनकी शैली न हो समझ मे आना मुश्किल है। मेरा एक्सपिरियन्स यही है,  इसलिए सिरियस बात को भी ऐसे बताना मजबूरी है .......  

 

क्रमश: - भाग 2


1 comment:

Featured Post

Party in Person (PIP) : How to fight your own case